देवास,: देवास जिले के खिवनी अभ्यारण्य को भारत सरकार ने इको सेंसेटिव जोन में शामिल किया है। इसकी अधिसूचना पूर्व में जारी की जा चुकी है। खिवनी वन्यजीव अभ्यारण्य की सीमा के चारों ओर 02 किलोमीटर तक विस्तारित क्षेत्र को खिवनी वन्यजीव अभ्यारण्य पारिस्थिति की संवेदी जोन के रूप में अधिसूचित किया गया है। राज्य सरकार अधिसूचना में दिये गये अनुबंधों का पालन कर स्थानीय व्यक्तियों से परामर्श कर आंचलिक महायोजना तैयार करेंगी।
इको सेंसेटिव जोन की आंचलिक महायोजना में पर्यावरण, वन और वन्यजीव, कृषि और बागवानी, राजस्व, नगर विकास, पर्यटन और पर्यावरण पर्यटन, ग्रामीण विकास, सिचाई और बाड नियंत्रण, नगर और शहरी विकास, पंचायती राज और लोक निर्माण विभाग मिलकर कार्य योजना बनायेंगे। कार्ययोजना में नैसर्गिक विरासत, मानव निर्मित विरासत स्थल, ध्वनि और वायु प्रदूषण, ठोस अपशिष्ट, जैव, निर्माण और प्लास्टिक अपशिष्ट, ई-अपशिष्ट का प्रबंधन, यानीय परिवहन और प्रदूषण, औद्योगिक इकाईया, पहाड़ी ढलानों का संरक्षण पर सभी विभाग मिलकर कार्य योजना की रिपोर्ट तैयार करेंगे। खिवनी अभ्यारण्य के इको सेंसेटिव झोन में देवास जिले के 15 ग्राम शामिल किये गये है।
उल्लेखनीय है कि खिवनी वनजीव अभ्यारण्य देवास और सीहोर जिले में स्थित है। जो 134.778 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। वन्यजीव अभ्यारण्य देवास और सीहोर वन भू-दृश्य के वनस्पति और जीव जंतु के गुणों का प्रतिनिधित्व करता है और यह एक पर्णपाती वन है।
खिवनी वन्यजीव अभ्यारण्य में जैव विविधता प्रचुर है, अभ्यारण्य में 69 वृक्ष प्रजातियों, 23 जडी बूटी और 12 झाडियों की प्रजातियां और पर्वतारोही परजीवी, घास और बांस भी पाये जाते है। अभ्यारण्य में उष्णकटिबंधीय शुष्क वर्णपाती सागौन वन है और अभ्यारण में वृक्ष पाये जाते है।
खिवनी अभ्यारण्य में 24 स्तनधारियों, 21 पछियों, 05 सरीसृप पाये जाते है। जिसमें तेंदूआ, भेडिया, सियार, लोमडी, लकड़बग्धा, नीलगाय, चिंकारा, वनैला सूअर, चौउसिंघा वास करते है। खीवन अभ्यारण में वनस्पति और जीवजंतु और जैव विविधता में प्रचुर है, अभ्यारण्य गलियारे का महत्वपूर्ण भाग है, जो सतपुड़ा बाघ रिजर्व से मेलघाट रिजर्व तक वन्यजीव के संचालन में सहायता करता है।