सनसनीखेज अपराध में न्यायालय द्वारा जघन्न हत्या के प्रकरण में बहन सहित पांच दोषियों को आजीवन कारावास
ग्राम खोंगरा से हरिओम पाल की खबर
हत्या के प्रकरण में फिंगर प्रिंट साक्ष्यों की रही महत्वपूर्ण भूमिका
जिला लोक अभियोजन कार्यालय गंज बासौदा, जिला विदिशा से प्राप्त जानकारी अनुसार, दिनांक 20.03.2025 को माननीय प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश अनुराग द्ववेदी जिला विदिशा ने थाना-शमशाबाद के अपराध क्रमांक 70/22 सत्र प्रकरण क्रमांक 65/22 में निर्णय पारित करते हुए अभियुक्तगण 1. फरहान उर्फ मामू 2. मो. शाकिर 3. मो. आसिफ 4. आरती ठाकुर 5. आफरीन बी को हत्या करने के अपराध में धारा 302, 201,120(बी) भादवि एवं 25,27 आर्म्स एक्ट में अभियुक्तगण को आजीवन कारावास एवं अर्थदंड से दण्डित किया गया। अभियोजन की ओर से पैरवी शासकीय अधिवक्ता सुरेन्द्र सिंह राजपूत गंज बासौदा द्वारा की गई। प्रकरण की विवेचना निरीक्षक पंकज गीते द्वारा की गई।
*चिन्हित एवं सनसनीखेज प्रकरण*
दिनांक 24 फरवरी 2022 को थाना शमशाबाद क्षेत्र में भोपाल-सिरोंज रोड पर सतपाड़ा डबरी में एक व्यक्ति की सड़क किनारे गोली मारकर निर्मम हत्या का मामला सामने आया था, जिसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए उक्त मामला शासन द्वारा चिन्हित एवं सनसनीखेज प्रकरणों की सूची में रखा गया था।
*फिंगरप्रिंट साक्ष्यों ने खोला हत्या का राज*
विवेचना दौरान इस जघन्य अपराध की जांच में जिला अंगुल चिन्ह विशेषज्ञ निरीक्षक योगेन्द्र साहू की महत्वपूर्ण भूमिका रही जिनके द्वारा घटना स्थल पर मृतक के ऑटो से फिंगर प्रिंट डेवलप कर आरोपी को ट्रेस कर आरोपी फरहान उर्फ मामू को पुलिस द्वारा अभिरक्षा में लिया गया। आरोपी से पूछताछ किये जाने पर अभियुक्त ने अपने साथी शाकिर मौलाना के साथ मिलकर मृतक राजू राजपूत पिता पर्वत सिंह राजपूत निवासी शिवनगर थाना छोला मदिर, भोपाल की हत्या करना बताया था। जांच में यह सामने आया कि मृतक अपनी बहन आरती ठाकुर के मोहम्मद आसिफ से प्रेम संबंध का विरोध कर रहा था। इस विरोध से नाराज होकर आरती ने अपने प्रेमी और अन्य साथियों के साथ मिलकर भाई की हत्या की साजिश रची। उसने पेशेवर शूटरों को मोटी रकम देकर हत्या को अंजाम दिलाया।
न्यायिक प्रक्रिया में फिंगरप्रिंट की अहमियत
गंजबासौदा न्यायालय ने 24 फरवरी 2022 को हुए हत्या के मामले में फोरेंसिक जांच और फिंगरप्रिंट साक्ष्यों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, अपराध स्थल से मिले अंगुल चिन्ह के निशान एवं अन्य भौतिक साक्ष्यों के माध्यम से अभियोजन पक्ष ने आरोपियों को दोषी सिद्ध करने में सफलता पाई। जिससे न्याय की राह प्रशस्त हुई।