राज्यमंत्री गोतम टेटवाल पर जाति बदलकर चुनाव लड़ने का आरोप
* व्यास टाइम्स मुकेश अहिरवार राजगढ़*
*सुल्तानिया के सरपंच ने याचिका फाईल की एक्सपर्ट वकील बोले-अभी दस्तावेज जमा नहीं*
*सारंगपुर के विधायक और कौशल विकास और रोजगार विभाग राज्यमंत्री गौतम टेटवाल एक बार फिर चर्चा में है. गुरुवार को इंदौर हाईकोर्ट में उनकी जाति को लेकर सुल्तानिया गांव के सरपंच ने याचिका फाइल की है. याचिका अभी प्राथमिक स्तर पर है जिसमे सुनवाई की कोई तारीख तय नहीं हुई है. लेकिन शुक्रवार को यह मामला सारंगपुर में दिनभर चर्चा में बना रहा*
*यह लगाए आरोप*
*घटना को लेकर व्यास टाईम के संवाददाता ने पड़ताल की जिसमे सारंगपुर जनपद के सुल्तानिया गांव निवासी सरपंच जितेंद्र हातिया उर्फ़ जितेंद्र मालवीय पिता गोकुलप्रसाद मालवीय ने बताया की सारंगपुर SC सीट है*
*विधानसभा चुनाव के दौरान वह भी भाजपा की वेटिंग लिस्ट में प्रत्याशी पद के दावेदार थे लेकिन जिसका नाम ही सूची में नहीं था उन्हें टिकिट दिया गया उन्होंने आरोप लगाया है की दस्तावेजों के अनुसार 02/07/1969 में प्रा. विद्यालय में एडमिशन लिया तब उनकी जाति जिनगर थी जो पिछड़ा वर्ग में है. इसके अलावा भी उनके चाचा, भुआ, बहन और पिताजी सहित कई परिजन जो शासकीय नौकरी में रहे अथवा चुनाव लड़े तब एफिडेविट दिया उसके अनुसार सभी पिछड़ा वर्ग में आते है. जबकि गौतम टेटवाल ने सारंगपुर से सांठगांठ कर साल 2003 में अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र बनवा लिया*
*पूर्व में भी उठ चुका मुद्दा*
*साल 2008 में गौतम टेटवाल पहली बार सारंगपुर से विधायक चुने गए थे. तब यह मामला चुनाव आयोग के पास पहुंचा था. उस समय के शिकायतकर्ता कोमलप्रसाद शाक्य ने राज्य स्तरीय अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र छानबीन समिति में की थी, जिसमे अनुसूचित जाति आयोग के अशोक शाह प्रमुख सचिव, जेएन मालपानी आयुक्त, नितिराजसिंह संयुक्त संचालक और अजय जासू सचिव की 4 सदस्यीय जांच समिति ने 10/08/2015 को निर्णय दिया की अनावेदक और उसके पूर्वजों के उपलब्ध अभिलेखों में जाति मोची अनुसूचित जाति है और 21/08/2003 को सारंगपुर अनुविभागीय अधिकारी द्वारा जारी प्रमाणपत्र वैध है*
*मंत्री गौतम टेटवाल ने बताया की जितेंद्र मालवीय भाजपा में शामिल हुआ कार्यकर्ता है, लेकिन सरपंच बनने के बाद गड़बड़ियाँ की उसका मामला जिला पंचायत में जांच में जिसके बचाव में वो मेरे पास आए थे. लेकिन अधिकारियो को हमने सख्त निर्देश दिए है की निर्दोष को सजा न मिले और गड़बड़ी करने वाले किसी को नहीं बख्शा जाए। उससे वो आहत है. जो आरोप वो लगा रहे है उनकी पिछले कार्यकाल के दौरान जांच हो चुकी है*
*एडव्होकेट बोले अभी दस्तावेज जमा नहीं हुए*
*याचिकाकर्ता के बयान के बाद उनके वकील धर्मेंद्र चेलावत से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया. वही मप्र में सर्वाधिक जनहित याचिका दायर करने वाले इंदौर हाईकोर्ट के एडव्होकेट मनीष विजयवर्गीय ने बताया की रिट पिटीशन क्रमांक WP19103/2024 अभी सिर्फ फाईल हुई है अभी दस्तावेज जमा होंगे, प्राथमिक परीक्षण के बाद एक्सेप्ट करना नहीं करना न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का मामला है. फिलहाल इसे दर्ज नहीं माना जा सकता*